गर्भवती महिला दोबारा हुई गर्भवती, जुड़वां बच्चों को दिया जन्म

रेबेका रॉबर्ट्स के प्रसूति रोग विशेषज्ञ डेविड वॉकर ने कहा, "रेबेका की गर्भावस्था मेडिकल इतिहास में दर्ज बेहद कम सुपरफेटेशन मामलों में से एक थी..."

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रेबेका रॉबर्ट्स और उनका जीवनसाथी रीस वीवर एक साल से भी अधिक वक्त तक बच्चा नहीं होने की तकलीफ से जूझते रहे, और फिर एक दिन घर पर ही किए प्रेग्नेंसी टेस्ट ने उन्हें खुश कर दिया, लेकिन जब तक अल्ट्रासाउंड करवाकर उन्होने सोनोग्राम स्क्रीन पर अपने बच्चे को देख नहीं लिया, उसकी धड़कन सुन नहीं ली, उन्हें तसल्ली नहीं हुई थी.

The Washington Post में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर ने उनकी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट पर लिखा, 'सिंगलटन' (एक बच्चा), तो इंग्लैंड के विल्टशायर में रहने वाली 39-वर्षीय रेबेका ने कहा, "मुझे याद है, मैं पहले स्कैन के बाद बहुत ज़्यादा खुश थी..."

लेकिन पांच ही हफ्ते बाद वे उस समय भौंचक्के रह गए, जब 12-हफ्ते की गर्भावस्था वाला अल्ट्रासाउंड करते समय सोनोग्राफर ने कुछ अनूठा देखा. ऐसा दिखा, जैसे रेबेका के गर्भ में अचानक दो बच्चे आ गए हैं, जिनमें से एक काफी कम विकसित लग रहा था. कमरे में सन्नाटा छा गया.

रेबेका ने बताया, "मुझे लगा, कुछ गड़बड़ हो गई है... सोनोग्राफर ने मेरी तरफ देखा और बोला, 'क्या तुम जानती हो, तुम्हें जुड़वां बच्चे होने वाले हैं...?'"

लेकिन रेबेका को बताया गया कि यह सामान्य जुड़वां नहीं थे. उनकी गर्भावस्था एक बेहद दुर्लभ स्थिति थी, जिसे सुपरफेटेशन (superfetation) कहा जाता है, जिसमें एक गर्भवती महिला दोबारा गर्भवती हो जाती है. 

रेबेका रॉबर्ट्स के प्रसूति रोग विशेषज्ञ डेविड वॉकर ने कहा, "रेबेका की गर्भावस्था मेडिकल इतिहास में दर्ज बेहद कम सुपरफेटेशन मामलों में से एक है..."

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सुपरफेटेशन इतनी दुर्लभ स्थिति है कि डॉक्टर डेविड वॉकर को यह निश्चित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. प्रसूति रोग विशेषज्ञ के रूप में अपने 25 साल के करियर में डॉ वॉकर ने ऐसे किसी केस को पहले नहीं देखा था. डॉ वॉकर ने कहा, "ऐसा होता ही नहीं है... मुझे कई बार स्कैन करने पड़े, ताकि मैं विश्वास के साथ सुपरफेटेशन के बारे में कह सकूं..."

उन्होंने बताया, "हम चिंतित थे, क्योंकि जुड़वां बच्चों में से दूसरा बच्चा काफी छोटा था... नियमित रूप से स्कैन करते रहकर और बढ़ोतरी की दर को नज़र में रखकर हम जान पाए कि वह ठीक तीन सप्ताह छोटा है... और तब कन्फर्म हुआ कि यह सुपरफेटेशन का ही मामला है..."

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सुपरफेटेशन के मामलों की वास्तविक संख्या की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यूरोपियन जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी एंड रीप्रोडक्टिव बायोलॉजी में वर्ष 2008 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह के 10 से भी कम मामले अब तक हुए हैं.

रेबेका रॉबर्ट्स और रीस वीवर ने इस स्थिति के बारे में पता चलने पर गूगल से भी मदद पाने की कोशिश की, लेकिन सब व्यर्थ रहा, क्योंकि इतनी दुर्लभ स्थिति के बारे में वहां भी कोई खास जानकारी उन्हें नहीं मिल पाई.

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खैर, डॉक्टरों द्वारा नियमित देखभाल किए जाने के बावजूद सिर्फ 33 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद छोटे भ्रूण की नाल (umbilical cord) ढंग से काम नहीं कर पा रही थी, सो, डॉक्टरों ने ऑपरेशन (Caesarean section) के ज़रिये 17 सितंबर को दोनों बच्चों का जन्म करवा दिया. जन्म के समय नोआ का वज़न चार पौंड 10 आउन्स था, जबकि दो मिनट बाद जन्मी रोसाली का वज़न मात्र दो पौंड सात आउन्स था.

दोनों बच्चों के जन्म से बेहद खुश रेबेका को बच्चों को नियोनैटल (नवजात) इन्टेन्सिव केयर यूनिट में रखना पड़ा. नोआ तीन हफ्ते तक अस्पताल में रहा, लेकिन रोसाली को 95 दिन तक अस्पताल में रखा गया, और फिर दोनों बच्चे घर पहुंच गए. अब दोनों बच्चे लगभग छह माह के हो चुके हैं.

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