Exclusive: 8 महीने तक इसी जेल में रहे ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामनेई, देखिए उस जेल से NDTV की रिपोर्ट 

आयतुल्लाह खामेनेई इतने पॉवरफुल इतनी आसानी से नहीं रहे हैं. उनकी जिंदगी का सफर काफी मुश्किल रहा है.  उन्हें जेल तक में 8 महीने तक रखा गया था.

विज्ञापन
Read Time: 9 mins
तेहरान:

ईरान के आयतुल्लाह अली खामेनेई ने अमेरिका और इजरायल को अपना पूरा दम दिखा दिया. उन्होंने दुनिया को बता दिया कि वो सिर्फ ईश्वर को सुपर पॉवर मानते हैं और किसी को नहीं. वहीं आयतुल्लाह खामेनेई इतने पॉवरफुल इतनी आसानी से नहीं रहे हैं. उनकी जिंदगी का सफर काफी मुश्किल रहा है.  उन्हें जेल तक में 8 महीने तक रखा गया था जिसे उन्होंने खुद कहा है कि वो वक्त मेरी जिंदगी का मुश्किल वक्त था.. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.. जिस जेल में उन्हें 1979 में इस्लामिक क्रांति से पहले शाह रजा पहलवी ने डलवाया था, अब वो जेल इबरत म्यूजियम के नाम से जानी जाती है. आइए बतातें है इस जेल के बारे में.. 

खामेनेई और इबरत संग्रहालय (जेल) का संबंध

इबरत संग्रहालय, जो पहले तेहरान में एक कुख्यात जेल थी, न केवल अपने क्रूर इतिहास के लिए जानी जाती है, बल्कि इसलिए भी कि यहाँ कई प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों को कैद किया गया था. इनमें से ही एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं आयतुल्लाह सैयद अली खामेनेई, जो वर्तमान में ईरान के सर्वोच्च नेता हैं.  

खामनेई का जेल में समय

आयतुल्लाह अली खामनेई को 1960 और 1970 के दशक में पाहलवी शासन के खिलाफ इस्लामी क्रांतिकारी आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी के कारण कई बार गिरफ्तार किया गया था. इस दौरान, उन्हें सावक (SAVAK), शाह की गुप्त पुलिस, द्वारा यातनाएं दी गईं. इबरत संग्रहालय, जो उस समय "जॉइंट कमेटी अगेंस्ट सबोटेज" के नाम से जानी जाने वाली जेल थी, में खामेनेई को छह बार कैद किया गया. 

Advertisement

संग्रहालय में एक संकरी गलियारे में पूर्व कैदियों की तस्वीरें प्रदर्शित हैं, जिनमें एक भूरे रंग के फ्रेम में आयतुल्लाह खामनेई की तस्वीर भी शामिल है. उनके नाम के नीचे फारसी में लिखा है: आयतुल्लाह सैयद अली खामेनेई. संग्रहालय में एक छोटा, मंद रोशनी वाला सेल भी संरक्षित है जिसमें एकमात्र खिड़की पर सलाखें हैं. यही वह सेल है जहां खामनेई को कैद रखा गया था. इस सेल में उनकी एक मोम की मूर्ति भी स्थापित है जो काले पगड़ी, गोल चश्मे और भूरे रंग के लबादे में है. यह मूर्ति उनके उस दौर के कष्ट और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है. 

Advertisement

खामेनेई की गिरफ्तारी और यातनाएं

1962 में, खामनेई ने कुम में इमाम खोमेनी के नेतृत्व में शाह के प्रो-अमेरिकी और इस्लाम-विरोधी नीतियों के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सा लिया. उन्होंने इमाम खोमेनी के संदेश को मशहद में आयतुल्लाह मिलानी और अन्य धर्मगुरुओं तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया. 1963 में, उन्हें पहली बार बिरजंद में गिरफ्तार किया गया और एक रात जेल में रखा गया. 

Advertisement

1972-1975 के बीच, खामनेई मशहद में तीन अलग-अलग मस्जिदों में कुरान और इस्लामी विचारधारा की कक्षाएं ले रहे थे. उनकी ये कक्षाएं और इमाम अली के नहजुल बलागा पर व्याख्यान हजारों युवाओं और छात्रों को आकर्षित करते थे. इन गतिविधियों ने सावक को भयभीत कर दिया, और 1975 के सर्दियों में, उनके मशहद स्थित घर पर छापा मारा गया. उन्हें छठी बार गिरफ्तार किया गया और उनकी किताबें और नोट्स जब्त कर लिए गए. इस बार, उन्हें तेहरान की कुख्यात "पुलिस-सावक जॉइंट जेल" (जो अब इबरत संग्रहालय है) में कई महीनों तक रखा गया. खामेनेई ने इस कैद को अपनी सबसे कठिन कैद बताया जिसमें कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था. 

Advertisement

खामनेई का क्रांतिकारी योगदान

खामनेई की क्रांतिकारी गतिविधियां 1960 के दशक से शुरू हुईं, जब वे इमाम खोमेनी के शिष्य बने. उन्होंने शाह के शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाई. 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद, जब शाह का शासन ढह गया और खोमेनी पेरिस से तेहरान लौटे, खामनेई तेजी से धार्मिक और राजनीतिक रैंकों में ऊपर उठे. उन्हें उप रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया और वे तेहरान में शुक्रवार की नमाज के इमाम बने, एक पद जो वे आज भी संभालते हैं. 1989 में, खामनेई को इस्लामी गणतंत्र का सर्वोच्च नेता चुना गया. 

संग्रहालय में खामनेई की स्मृति

इबरत संग्रहालय में खामेनेई की तस्वीर और मोम की मूर्ति उनके क्रांतिकारी संघर्ष और शाह के शासन के दौरान उनके कष्टों को दर्शाती है. संग्रहालय के एक अधिकारी के अनुसार, 'खामनेई को ईश्वर ने देश का रहबर (नेता) बनाना चाहा.'  यह प्रदर्शन शाह की गुप्त पुलिस सावक की क्रूरता की याद दिलाता है और खामनेई के नेतृत्व को एक क्रांतिकारी बलिदान के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है. 

आयतुल्लाह अली खामेनेई का इबरत जेल (अब संग्रहालय) में कैद होना उनके क्रांतिकारी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह संग्रहालय न सिर्फ उनके संघर्ष को दर्शाता है बल्कि उस दौर के अन्य क्रांतिकारियों की कहानियों को भी संरक्षित करता है. खामनेई की गिरफ्तारियां और यातनाएं उनकी दृढ़ता और इस्लामी क्रांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, जो अंततः उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता के पद तक ले गई. 

हिजाब पहनना था उस वक्त गुनाह 

सिर्फ आयतुल्लाह खामेनेई हीं नहीं बल्कि हजारों की तादात में स्कॉलर, नेता, और इस्लाम के रास्ते पर चलने वाले लोग इस जेल में कैद थे.  वहीं जो महिलाएं अपना सिर ढकना चाहती थी उन औरतों को भी इस जेल में डाल दिया जाता था.  जहां आज कई महिलाएं ईरान में बिना सर ढके रहना चाहती हैं तो उस समय वो सिर ढककर रहना चाहती थी. इसकी वजह से शाह रजा पहलवी ने उन्‍हें भी कैद कर दिया. आज भी  उन महिलाओं की फोटो उस म्यूजियम में लगी हुई है.  

ईरान का इबरत संग्रहालय 

ईरान की राजधानी तेहरान में स्थित इबरत संग्रहालय (मوزه عبرت) एक ऐसा स्थान है जो न केवल इतिहास के एक काले अध्याय को दर्शाता है, बल्कि मानवता के लिए एक गहरी सीख भी प्रदान करता है. यह संग्रहालय, जो कभी पाहलवी शासनकाल में एक भयावह जेल हुआ करता था, आज ईरान के समकालीन इतिहास की सबसे दुखद और भयावह कहानियों को जीवंत करता है.  यह लेख इबरत संग्रहालय के इतिहास, वास्तुकला, और इसके महत्व को हिंदी में प्रस्तुत करता है. 

इबरत संग्रहालय का इतिहास

इबरत संग्रहालय की इमारत का निर्माण 1932 में रजा शाह पाहलवी के आदेश पर जर्मन इंजीनियरों द्वारा किया गया था. यह ईरान की पहली आधुनिक जेल के रूप में बनाई गई थी, जिसे शुरू में नाजिमियेह परिसर के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया गया. बाद में, यह जेल 1947 में देश की पहली महिला जेल बनी.

इसका सबसे कुख्यात उपयोग मोहम्मद रजा पाहलवी (पाहलवी द्वितीय) के शासनकाल के दौरान हुआ, जब इसे 1960 और 1970 के दशक में इस्लामी क्रांतिकारी आंदोलनों के विरोधियों को कैद करने और यातना देने के लिए इस्तेमाल किया गया. इस दौरान, यह जेल शाह के गुप्त पुलिस संगठन सावक (SAVAK) के नियंत्रण में थी, जिसे "जॉइंट कमेटी अगेंस्ट सबोटेज" के नाम से जाना जाता था.

1979 की इस्लामी क्रांति के बाद, इस जेल का नाम तोहीद जेल रखा गया और यह 2000 तक संचालित होती रही, जब मानवाधिकार जांच के बाद इसे बंद कर दिया गया. 2002 में, ईरान की सांस्कृतिक धरोहर संगठन ने इसे एक संग्रहालय में बदल दिया, जो अब आगंतुकों को उस दौर की क्रूरता और दमन की कहानी सुनाता है. 


संग्रहालय की वास्तुकला 

इबरत संग्रहालय की इमारत अपनी अनूठी और भयावह वास्तुकला के लिए जानी जाती है. यह चार मंजिला भवन भूकंप-रोधी है और इसका डिजाइन इस तरह बनाया गया था कि कैदियों के लिए भागना असंभव था. इमारत का केंद्रीय हिस्सा एक गोलाकार आंगन है, जो एक जालीदार छत से ढका हुआ है. सभी गलियारे इस केंद्रीय स्थान की ओर ले जाते हैं, जिससे जेल की संरचना और भी डरावनी हो जाती थी. जेल की दीवारें ऐसी बनाई गई थीं कि चीखें गूंज न सकें, जिससे कैदियों का मानसिक दबाव और बढ़ जाता था. संग्रहालय में कई हिस्से हैं, जैसे एकल और सामूहिक कारावास कक्ष, यातना कक्ष, कैदियों की मुलाकात की जगहें, और कपड़ों का भंडारण कक्ष। ये सभी हिस्से उस समय की क्रूरता को दर्शाते हैं. 

संग्रहालय में प्रदर्शन

इबरत संग्रहालय का उद्देश्य आगंतुकों को पाहलवी शासन के दौरान राजनीतिक कैदियों पर हुए अत्याचारों की याद दिलाना है. संग्रहालय में कई प्रदर्शन हैं जो उस दौर की क्रूरता को जीवंत करते हैं: 

पुतले और दृश्य: संग्रहालय में यातना के दृश्यों को पुतलों के माध्यम से दर्शाया गया है, जिनमें खून से सने निशान दिखाए गए हैं. ये प्रदर्शन वयस्कों के लिए उपयुक्त हैं और भावनात्मक रूप से संवेदनशील लोगों के लिए परेशान करने वाले हो सकते हैं. 

वृत्तचित्र और साक्षात्कार: संग्रहालय के एम्फीथिएटर में एक छोटी फिल्म दिखाई जाती है, जिसमें उस जेल में कैद रहे लोगों के साक्षात्कार शामिल हैं. यह फिल्म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ उपलब्ध है, जो आगंतुकों को उस दौर की सच्चाई से रूबरू कराती है. 

पूर्व कैदियों के मार्गदर्शन: संग्रहालय की एक खास बात यह है कि यहां के कुछ गाइड वही लोग हैं जो इस जेल में कैद थे. उनकी व्यक्तिगत कहानियाँ और अनुभव आगंतुकों को उस समय की भयावहता का गहरा अहसास कराते हैं. 

दस्तावेज और तस्वीरें: संग्रहालय में कई तस्वीरें और दस्तावेज प्रदर्शित हैं, जो पाहलवी शासन और सावक की क्रूरता को दर्शाते हैं. इनमें शाही परिवार की तस्वीरें भी शामिल हैं, जो उस समय की सत्ता को याद दिलाती हैं. 

संग्रहालय का महत्व

इबरत संग्रहालय डार्क टूरिज्म (Dark Tourism) का एक प्रमुख उदाहरण है, जो उन ऐतिहासिक स्थलों को दर्शाता है जो मृत्यु और त्रासदी से जुड़े हैं. यह संग्रहालय न केवल ईरान के इतिहास के एक दुखद हिस्से को संरक्षित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक उत्पीड़न का स्थान स्मृति और सीख का केंद्र बन सकता है. यह आगंतुकों को मानवाधिकारों के महत्व और अत्याचार के खिलाफ एकजुट होने की प्रेरणा देता है. 

इबरत संग्रहालय का दौरा कैसे करें

इबरत संग्रहालय तेहरान के इमाम खोमेनी स्क्वायर, यारजानी स्ट्रीट पर स्थित है. यह संग्रहालय प्रतिदिन खुला रहता है और यहां अंग्रेजी में गाइडेड टूर उपलब्ध हैं. टूर में एक छोटी फिल्म और पूर्व कैदियों की कहानियां शामिल होती हैं, जो आगंतुकों को गहन अनुभव प्रदान करती हैं. संग्रहालय में प्रवेश के लिए टिकट की आवश्यकता होती है. साथ ही यह सलाह भी दी जाती है कि संवेदनशील दर्शक इसे देखने से पहले मानसिक रूप से तैयार रहें क्योंकि यहां के प्रदर्शन भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं. 

इबरत संग्रहालय केवल एक संग्रहालय नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी जगह है जो इतिहास के काले पन्नों को उजागर करती है. यह हमें याद दिलाता है कि अत्याचार और दमन की कहानियां भूलनी नहीं चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. यदि आप तेहरान में हैं और ईरान के समकालीन इतिहास को समझना चाहते हैं, तो इबरत संग्रहालय का दौरा अवश्य करें. यह न केवल एक शैक्षिक अनुभव है, बल्कि मानवता के प्रति एक गहरी संवेदना को भी जागृत करता है. 


 

Featured Video Of The Day
PM Modi Ghana: घाना के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित पीएम, प्रभावशाली नेतृत्व को नवाजा गया