पाकिस्तान (Pakistan) के 75 साल के इतिहास में पहली बार खुफिया एजेंसी ISI के ताकतवर मेजर जनरल फैज़ल, के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ. वह पेशावर कॉर्प्स के कमांडर भी हैं. इमरान खान (Imran Khan) पर हुए जानलेवा हमले में उनका हाथ होने के शक में यह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इमरान खान की हत्या के प्रयास के कुछ घंटों बाद ही लोगों ने खैबर पख्तूनख्वां में पेशावर में कॉर्प्स कमांडर हाउस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने इसकी वीडियो शेयर की थी.
पीटीआई ने ट्विटर पर कहा, जब गैर-राजनैतिक लोग राजनैतिक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और जब लोग इमरान खान को धमकाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती देखते, एस्टेबलिशमेंट में अविश्वास बढ़ जाता है. पेशावर में कॉर्प्स कमांडर हाउस के सामने प्रदर्शन चेतावनी भरा है!"
इससे पहले पीटीआई चीफ इमरान खान ने नए सैन्य अध्यक्ष की नियुक्ति पर एक प्रस्ताव दिया था लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उसे खारिज कर दिया था और अर्थव्यवस्ता और लोकतंत्र पर बात करने को कहा था.
इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने घोषणा की है कि पूर्व प्रधानमंत्री अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले के बावजूद मध्यावधि चुनाव करवाने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव डालने के मकसद से जुम्मे की नमाज़ के बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के वज़ीराबाद इलाके में विरोध मार्च के दौरान एक बंदूकधारी ने खान (70) को ले जा रहे ट्रक पर गोली चला दी, जिससे खान के पैर में गोली लग गई थी। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हुई है। खान की पार्टी का दावा है कि यह इमरान खान की ‘‘हत्या का प्रयास'' था.
पीटीआई पार्टी के महासचिव असद उमर ने ट्वीट कर कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जाएंगी तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
उमर ने कहा, ‘‘जुम्मे की नमाज़ के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. जब तक इमरान खान की मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक यह विरोध लगातार जारी रहेगा.''
हालांकि, उन्होंने खान द्वारा की जा रही मांगों के बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन खान वर्तमान सरकार पर मध्यावधि चुनावों करवाए जाने की मांग कर रहे हैं. खान ने शहबाज़ शरीफ नीत सरकार पर दबाव डालने के लिए 28 अक्टूबर को ‘हकीकी आज़ादी' मार्च शुरू किया था.
पार्टी का कहना है कि खान, अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले के बावजूद सरकार पर जल्द चुनाव कराने का दबाव डालने के वास्ते अपना राजनीतिक संघर्ष जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
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