तालिबान पर बातचीत की टेबल तक आने का दबाव बनाए अमेरिका : NDTV से अफगानिस्‍तान के राजदूत

फ़रीद मामुंदज़ई ने कहा कि अफगानिस्‍तान में इस स्थिति के लिए तालिबान के साथ-साथ विदेशी ज़मीन से आने वाले लड़ाके भी ज़िम्मेदार हैं. जिस तरह से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई, वो भी ज़िम्मेदार हैं.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत ने कहा, तालिबान को शर्तों को मानने के लिए मजबूर नहीं किया गया
नई दिल्ली:

भारत में अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) के राजदूत फ़रीद मामुंदज़ई (Afghan envoy Farid Mamundzay)से अपने मुल्‍क में बिगड़े हालात के चलते कंधार से भारतीय कर्मियों के लौटने को दुखद करार दिया है  लेकिन कहा कि हालात के सामने मजबूर हैं. उन्‍होंने कहा कि उम्मीद है कि हालात सुधरेंगे और भारतीय कर्मी जल्द लौटेंगे. मामुंदज़ई ने बातचीत के दौरान कहा कि अभी हालात और ख़राब होते जा रहे हैं, तीन लाख लोग बेघर हो चुके हैं जबकि चार हज़ार लोग जान गंवा चुके हैं. उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान में इस स्थिति के लिए तालिबान के साथ साथ विदेशी ज़मीन से आने वाले लड़ाके भी ज़िम्मेदार हैं. जिस तरह से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई, वो भी ज़िम्मेदार हैं. मामुंदज़ई ने कहा कि अमेरिका से दरख़्वास्त है कि वह तालिबान पर दबाव बनाए कि वो बातचीत की टेबल तक आएं.

भारत के लिए चिंता का कारण है अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सैनिकों का लौटना : विशेषज्ञ

अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत ने कहा कि अमेरिका ने अफ़ग़ान सरकार को बातचीत की शुरुआत से शामिल नहीं  रखा. अमेरिका सात हज़ार तालिबानी क़ैदियों की रिहाई से लेकर और पीस डेलीगेशन को भेजने तक जो-जो कहता रहा हम करते रहे, लेकिन तालिबान को शर्तों को मानने के लिए मजबूर नहीं किया गया. यूएन की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि अल क़ायदा जैसे दूसरे आतंकी संगठनों के उसके संबंध अभी भी हैं. तालिबान के साथ लश्करे तैयबा और जैशे मोहम्मद भी हमलों में शामिल है. उन्‍होंने कहा कि तालिबान तो अफ़ग़ान हैं उनके साथ आज न कल समझौता हो जाएगा लेकिन ग़ैर अफ़ग़ानी विदेशी लड़ाकों चिंता का सबब हैं. वे हमारे नागरिक तक नहीं हैं. अमेरिका से दरख़्वास्त है कि उसने तालिबान को जो ब्लैंक चेक दिया है वो न दे. वह तालिबान पर दबाव बनाए कि वो बातचीत की टेबल तक आएं. P5 देशों से भी हमारा अनुरोध कि वे तालिबान पर दबाव बनाएं. 

अफगानिस्‍तान में  'लड़ना' US के हित में नहीं, 31 अगस्‍त को खत्‍म होगा सैन्‍य अभियान :बाइडेन

उन्‍होंने कहा कि भारत से हमें अभी डिप्लोमेटिक मदद की ज़रुरत है और वह अफ़ग़ानिस्तान में चल रही परियोजना को चलाता रहे. अगर तालिबान से शांति समझौते पर बात नहीं बनती तब भारत से सुरक्षा मदद चाहिए होगी. अमेरिका से जब मिलिटरी इक्विपमेंट मिलने बंद हो जाएंगे तो भारत से इस सप्लाई की जरूरत होगी. मामुंदज़ई ने कहा कि भारत, यूएन और क्वाड समेत दुनिया के मंचों से अफ़ग़ान लोगों की मदद कर सकता है.ईरान और रूस के साथ भी भारते के अच्छे ताल्लुक़ात हैं, भारत उन सबको साथ लेकर दबाव बना सकता है. तालिबान पर इस क्षेत्र के 7 या 8 देश मिल जाएं तो तालिबान को बातचीत की टेबल पर लाया जा सकता है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Today Top Breaking News: दिल्ली में ठंड बढ़ने के साथ-साथ हवा भी जहरीली, AQI का स्तर हुआ खतरनाक
Topics mentioned in this article