- अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने भारत के अपने पहले दौरे के दौरान तालिबान सरकार की मान्यता का संकेत दिया.
- मुत्ताकी ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों क्षेत्रीय शांति और सकारात्मक संबंध चाहते हैं.
- अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से लगी सीमा पर 58 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की है.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी अपने पहले भारत दौरे पर हैं. उनका यह दौरा कई मायनों में खास है. पहली बार था तालिबान शासन का कोई मंत्री इस तरह से औपचारिक भारत यात्रा पर आया है. मुत्ताकी ने रविवार को एक बार फिर भारतीय मीडिया को संबोधित किया. पिछली प्रेस कॉन्फ्रेंस से अलग इस बार उनकी कॉन्फ्रेंस में महिला जर्नलिस्ट्स को एंट्री दी गई थी. मुत्ताकी इन इस दौरान अफगानिस्तान और भारत के समान पड़ोसी पाकिस्तान को लेकर भी कई बातें कहीं हैं जो काफी महत्वपूर्ण हैं.
'पाकिस्तान को शांति प्रेमी मानते हैं'
अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने नई दिल्ली में अपनी दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों सकारात्मक संबंध और क्षेत्रीय शांति चाहते हैं. मुत्ताकी के बयान के बाद अफगानिस्तान की तरफ से इस बात की पुष्टि की गई कि उसने पाकिस्तान से लगे बॉर्डर पर 58 सैनिकों को ढेर कर दिया है. मुत्ताकी ने NDTV की गौरि द्विवेदी के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सीमा पर जारी और अफगानिस्तान की तरफ से पाकिस्तान पर ईरान और रूस पर हमले की कोशिशों के आरोपों के बाद भी तालिबान शासन पाकिस्तान की सरकार और जनता को शांति-प्रेमी मानता है.
अशांति फैलाने की कोशिश
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान में कुछ समूह अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. जब हमारी सीमाओं की रक्षा का मामला आया, तो हमने तुरंत प्रतिक्रिया दी.' मुत्ताकी ने यह भी बताया कि कतर और सऊदी अरब जैसे सहयोगियों ने उनसे स्थिति को शांत करने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि अब सीमा पर स्थिति नियंत्रण में है और बातचीत के दरवाजे खुले हैं. मुत्ताकी ने जोर देकर कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान में शांति स्थापित की है और पूरे क्षेत्र के लिए भी यही चाहते हैं.
मुत्ताकी के दौरे की अहमियत
मुत्ताकी गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे हैं. अपने छह दिवसीय दौरे के दौरान वह विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उच्च स्तरीय वार्ता में भाग लेंगे. वे तालिबान के चार साल पहले सत्ता में आने के बाद भारत आने वाले पहले उच्च पदस्थ अफगान मंत्री हैं. दिल्ली ने अभी तक तालिबान प्रशासन को औपचारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है. उनका दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत और अफगानिस्तान दोनों ही पाकिस्तान के साथ सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर तनावपूर्ण संबंधों में हैं.