- इस्लामिक स्टेट खुरासान अफगानिस्तान लौटे प्रवासियों को आतंकी गतिविधियों में भर्ती करने की कोशिश कर रहा है
- जनवरी से अब तक लगभग 26 लाख अफगान पाकिस्तान और ईरान से वापस अफगानिस्तान लौटे हैं
- तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में सुरक्षा में सुधार हुआ लेकिन इस्लामिक स्टेट खतरा बना हुआ है
अफगानिस्तान पर जार करते तालिबानियों की नाक के नीचे एक बड़ा ‘टाइम बम' तैयार हो रहा है. पाकिस्तान और ईरान अपने यहां से गरीब अफगानों वो वापस अफगानिस्ताने भेज रहे हैं और मजबूरन अफगानिस्तान लौटे इन लाखों प्रवासियों पर इस्लामिक स्टेट की नजर है जो इन्हें आतंकी के रूप में भर्ती करना चाहते हैं. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार राजनयिक और सुरक्षा सूत्रों को डर है कि यह स्थिति आतंकवाद को बढ़ावा दे सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से अब तक लगभग 26 लाख अफगान वापस आ चुके हैं. इनमें कई ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने पाकिस्तान या ईरान में कई दशक बिताए हैं या जो पहली बार अफगानिस्तान में कदम रख रहे हैं. अब आतंकवादी समूहों की निगरानी करने वाली संयुक्त राष्ट्र समिति के पूर्व कॉर्डिनेटर हंस-जैकब शिंडलर ने एएफपी को बताया, "इस बात का खतरा है कि इस्लामिक स्टेट खुरासान इन नए आए अफगानों को भर्ती करने के विकल्प के रूप में देखता है."
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार शिंडलर ने कहा, "अगस्त 2021 से, इस समूह ने बागी हुए तालिबानियों के साथ-साथ उन अफगानों को भी भर्ती करना जारी रखा है जो नए (तालिबानी) शासन का हिस्सा नहीं हैं."
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में चेतावनी दी थी कि "विभिन्न प्रकार के आतंकवादी समूहों के लिए अनुकूल वातावरण... मध्य एशियाई और अन्य देशों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है". इसमें कहा गया है कि सबसे गंभीर खतरा इस्लामिक स्टेट से है, जिसके 2,000 लड़ाके हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में रूस, ईरान और पाकिस्तान में घातक हमले किए हैं.