अफगानिस्तान में लौटा तालिबान का राज, दाढ़ी नहीं कटवाएंगे पुरुष, महिलाओं के अकेले निकलने पर बैन

लोकल फैक्टरी में काम करने वाली सजदा ने एएफपी को बताया कि कई महिलाएं कढ़ाई, सिलाई और जूते बनाने के काम में लगी थीं, लेकिन तालिबान के आदेश के बाद वे सब डरी हुई हैं.

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अफगानिस्तान की हवाओं में तालिबानी फरमानों की घुटन से फिर बिगड़ा माहौल
काबुल:

उत्तरी अफगानिस्तान (Afghanistan) में कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने एक स्थानीय इमाम को खत के जरिए अपना पहला आदेश भेजा है. कलाफगन जिले के निवासी 25 वर्षीय सेफतुल्ला ने बताया कि इसमें कहा गया है कि महिलाएं अब पुरुष को साथ लिए बिना बाजार नहीं जा सकती और पुरुषों को अपनी दाढ़ी रखनी होगी. उन्होंने सिगरेट और बीड़ी पीने वालों पर भी पाबंदी लगा दी है और चेतावनी दी है कि अगर किसी ने भी उनके आदेश का पालन नहीं किया तो कड़ी सजा दी जाएगी. अमेरिका और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान तेजी से आगे बढ़ रहा है.वे जिलों और राज्य की प्रमुख सीमाओं पर कब्जा कर रहे हैं. प्रांतीय राजधानी की घेराबंदी कर रहे हैं. कुछ क्षेत्रों में वे फिर इस्लामी शासन की कठोर व्यवस्था को लागू कर रहे हैं, जो कि 11 सितंबर के हमले के बाद अमेरिकी नेतृत्व ने उखाड़ फेंकी थी.

पिछले महीने तालिबान ने उत्तरी सीमा पर स्थित चौकी शिर खान बंदर पर कब्जा कर लिया था. यह चौकी पंज नदी पर अफगानिस्तान को तजाकिस्तान से जोड़ने वाले पुल पर बनी है. यहीं की एक लोकल फैक्ट्री में काम करने वाली सजदा ने बताया कि तालिबान ने शिर खान बंदर पर कब्जा करने के बाद महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी है.

सजदा ने AFP को बताया कि कई महिलाएं कढ़ाई, सिलाई और जूते बनाने के काम में लगी थीं, लेकिन तालिबान के आदेश के बाद वे सब डरी हुई हैं. तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया. उस दौरान भी महिलाओं को बहुत खराब स्थितियों में रखा जाता था. उन्हें घर के अंदर ही रखा जाता था. जब तक कोई पुरुष साथ में न हो वे बाहर नहीं जा सकती थीं. लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं थी. अगर किसी को अवैध संबंध का दोषी पाया जाता था तो उन्हें तब तक पत्थरों से मारा जाता था जब तक उनकी मौत न हो जाए. इस तालिबानी शासन में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को अधिक आजादी थी, हालांकि उन्हें दाढ़ी बनाने की मनाही थी. साथ ही अगर वे नमाज में शामिल नहीं हुए तो उन्हें पीटा जाता था. उन्हें भी सिर्फ पारंपरिक पोशाक पहने की ही इजाजत थी.

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बेटियों की शादी तालिबानी लड़ाकों से कराने के आदेश

इस सप्ताह सोशल मीडिया पर कथित रूप से आए तालिबान के आदेश के मुताबिक - ग्रामीणों को अपनी बेटियों और विधवाओं की शादी तालिबानी सैनिकों से करवाने के आदेश दिए गए हैं. तालिबान कल्चर कमीशन के नाम से जारी एक खत में कहा गया है कि कब्जे वाले इलाकों के सभी इमाम और मुल्ला तालिबान को 15  से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची तालिबानी लड़कों को मुहैया करवाएं. हालांकि तालीबानी सत्ता का पहला कार्यकाल कड़वे अनुभवों के साथ है. इस बार वह नरम छवि पेश करना चाहता है. इसलिए इस तरह के किसी भी बयान को जारी करने से इंकार किया है.इस समूह के प्रवक्ता ने जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि ये दावे निराधार हैं.

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रात को घर से नहीं निकलने का आदेश
तालिबान  भले ही कहे की ये बयान फर्जी हैं, लेकिन इनके कब्जे के इलाके के लोग कुछ और ही कह रहे हैं. तजाकिस्तान सीमा पर यवन जिले पर तालिबान ने कब्जा करने के बाद स्थानीय मस्जिद में लोगों को इकट्ठा किया. 32 साल के मोहम्मद नजीर ने बताया कि उनके कमांडरों ने आदेश दिया है कि रात में किसी को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है.साथ ही अफगान ध्वज को लेकर भी आदेश दिया कि कोई भी शख्स विशेष रूप से युवा हरे और लाल रंग के कपड़े नहीं पहनेगा. साथ ही तालिबान के आदेश के मुताबिक- हर किसी को पगड़ी पहननी चाहिए.कोई भी आदमी दाढ़ी नहीं बना सकता. छठी कक्षा से आगे लड़कियों के पढ़ने पर रोक है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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