नकदी से भरे हेलीकॉप्टर में काबुल से भागे थे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी : मीडिया रिपोर्ट

अशरफ गनी ने अपने हेलीकॉप्टर में ठूंस-ठूंस कर नकदी भरी, लेकिन जगह की कमी के कारण नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही छोड़ने पड़ गए

Advertisement
Read Time: 24 mins
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (फाइल फोटो).
मास्को/काबुल:

युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान से भागते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने हेलीकॉप्टर में ठूंस-ठूंस कर नकदी भरी, लेकिन जगह की कमी के कारण नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही छोड़ने पड़ गए. रूस की आधिकारिक मीडिया ने सोमवार को एक खबर में यह दावा किया. गौरतलब है कि रविवार को काबुल पर तालिबान के कब्जे के साथ ही अमेरिका समर्थित गनी सरकार गिर गयी और राष्ट्रपति देश-विदेश के सामान्य लोगों की तरह देश छोड़ने पर मजबूर हो गए.

Advertisement

काबुल स्थित रूसी दूतावास का हवाला देते हुए रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास' ने खबर दी है कि 72 वर्षीय राष्ट्रपति गनी नकदी से भरा हेलीकॉप्टर लेकर काबुल से भागे. खबर में दूतावास के एक कर्मचारी के हवाले से कहा गया है, ‘‘ उनके (गनी के) शासन के समाप्त होने के कारणों को, गनी के वहां से भागने के तरीके से जोड़कर देखा जा सकता है. चार कारें नकदी से भरी हुई थीं और उन्होंने सारा पैसा हेलीकॉप्टर में भरने की कोशिश की, लेकिन सारी नकदी हेलीकॉप्टर में नहीं भरी जा सकी और उन्हें कुछ नकदी रनवे पर ही छोड़नी पड़ गई.''

हालांकि, तास ने दूतावास के कर्मचारी का नाम नहीं दिया है, लेकिन रूसी दूतावास की प्रवक्ता निकिता इशेंको के हवाले से रूसी वायर सेवा ‘स्पूतनिक' ने खबर दी है कि काबुल से भागने के दौरान गनी के काफिले में नकदी से भरी कारें शामिल थीं. इशेंको ने कहा, ‘‘उन्होंने सारा पैसा हेलीकॉप्टर में भरने की कोशिश की लेकिन जगह की कमी से ऐसा नहीं हो पाया. कुछ पैसा रनवे पर ही रह गया.''

Advertisement

मीडिया में आई खबरों के अनुसार, गनी अफगानिस्तान से भागकर संभवत: पड़ोसी देशों ताजिकिस्तान या उज्बेकिस्तान गए हैं. हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. 

Advertisement

अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपने पहले बयान में गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा. राष्ट्रपति ने लिखा है कि उनके सामने दो ‘‘मुश्किल विकल्प'' थे, पहला राष्ट्रपति भवन में घुसने की कोशिश कर रहे ‘हथियारबंद तालिबान' और दूसरा ‘‘अपने प्रिय देश को छोड़ना, जिसकी रक्षा में मैने अपने जीवन के 20 साल लगा दिए.''

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘अगर फिर से अनगिनत संख्या में देश के नागरिक शहीद होते और काबुल में विध्वंस ही विध्वंस होता तो करीब 60 लाख की आबादी वाले शहर के लिए उसका परिणाम बेहद घातक होता. तालिबान ने मुझे हटाने का फैसला कर लिया था, वे यहां काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने आए हैं. ऐसे में रक्तपात से बचने के लिए, मुझे वहां से निकलना ही मुनासिब लगा.''

Advertisement

गनी ने कहा, ‘‘तालिबान ने हथियार के बल पर लड़ाई जीत ली है और अब देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है.

पेशे से शिक्षाविद और अर्थशास्त्री गनी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति थे. पहली बार 20 सितंबर 2014 और दूसरी बार 28 सितंबर, 2019 में वह राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर पद पर आसीन हुए थे.

गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर 1996 से 2001 तक तालिबान का शासन था और 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका नीत सैन्य बलों ने देश से उसका शासन समाप्त कर दिया था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Rajnath Singh On Agniveer: अग्नीवर के मुद्दे पर भड़के Rajnath Singh बोले: 'विपक्ष की सदन को गुमराह करने की कोशिश'