पाकिस्तान में बुधवार को एक प्रतिबंधित कट्टरपंथी ग्रुप की रैली के दौरान समर्थकों की ओर से की गई फायरिंग में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई जबकि 70 से अधिक घायल हो गए. देश के आंतरिक मामलों के मंत्री ने यह जानकारी दी. प्रतिबंधित तहरीक-ए- लुबैक पाकिस्तान (TLP) इस वर्ष की शुरुआत में भी फ्रांस विरोधी प्रदर्शन के भी पीछे था जिसके बाद फ्रांसीसी दूतावास को सभी फ्रेंच नागरिकों को देश छोड़ने की चेतावनी जारी करनी पड़ी थी. शेख रशीद अहमद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेस में बताया कि मौजूदा प्रदर्शन, ग्रुप के मजबूत गढ़ माने वाले जाने वाले लाहौर शहर में शुक्रवार को प्रारंभ हुआ था जहां से हजारों की संख्या में लोग राजधानी इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहे थे.
शेख रशीद ने बताया कि इन लोगों ने क्लाशनिकोव (राइफल) से पुलिस पर ओपन फायर किए जिसमें तीन पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी. उन्होंने बताया कि घायलों में से आठ की हालत गंभीर है. दूसरी ओर, TLP ने पुलिस पर भीड़ पर फायरिंग करने का आरोप लगाया है. संगठन के अनुसार, इस फायरिंग में उसके चार समर्थकों की जान गई है. पंजाब प्रोविंस की पुलिस ने रबर बुलेट या गन का इस्तेमाल करने से इनकार किया है. प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के दावों पर उसने कोई कमेंट नहीं किया है.
पुलिस प्रवक्ता मजहर हुसैन ने न्यूज एजेंसी AFP से बातचीत में कहा, 'हमने उनके खिलाफ इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया.' यह ग्रुप अपने नेता साद रिजवी की नजरबंदी का विरोध कर रहा है जिन्हें अप्रैल में अरेस्ट किया गया था. यह फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने की भी मांग कर रहा है. TLP ने फ्रांस विरोधी अभियान छेड़ रखा हैं क्योंकि वहां के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रां ने पैगंबर मोहम्मद को चित्रित करने वाले कार्टूनों को फिर से प्रकाशित करने के एक व्यंग्य पत्रिका के अधिकार का बचाव किया था. इस कदम को कई मुस्लिमों ने ईशनिंदा करार दिया था.