जर्मनी में 19 वर्षीय साइबर सुरक्षा शोधकर्ता डेविड कोलंबो ने अपने युवा करियर की सबसे बड़ी खोज की है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार डेविड एक फ्रांसीसी कंपनी के लिए सुरक्षा ऑडिट कर रहे थे, जब उसने कुछ असामान्य देखा: कंपनी के नेटवर्क पर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम चल गया जिसमें मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी के टेस्ला वाहन के बारे में सभी डेटा उजागर हो गया. इस डेटा में पूरा इतिहास शामिल था कि कार को कहां कहां चलाया गया है और फिलहाल वह कार कहां है. यह सारा डेटा डेविड के सामने एक्सीडेंटली आया, वे इसके बारे में सर्च नहीं कर रहे थे.
इतना ही नहीं, जैसे-जैसे डेविड ने और छानबीन की, उसने महसूस किया कि वह टेस्ला के उन वाहनों को कमांड भी दे सकता है जिनके मालिक उस प्रोग्राम का उपयोग कर रहे थे. उसे उन कारों के कुछ फंक्शंस को हाईजैक करने में सक्षम बनाया, जिसमें दरवाजे खोलना और बंद करना, संगीत चालू करना और सुरक्षा सुविधाओं को अक्षम करना शामिल था. (हालांकि उसे कारों के स्टीयरिंग, ब्रेकिंग या अन्य कार्यों का एक्सेस नहीं मिल पाया.)
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डेविड ने अपनी इस खोज के बारे में इसी सप्ताह ट्वीट किया था. उनके इस ट्वीट ने हैकिंग के जोखिमों के बारे में चर्चा को जन्म दिया है. यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि आजकल हर उत्पाद - रेफ्रिजरेटर से लेकर डोरबेल तक - इंटनेट से कनेक्टिड है.
"मुझे यकीन नहीं है कि मैं वैसा ट्वीट फिर कर सकूंगा," डेविड ने कहा. उन्होंने 10 साल की उम्र में ही प्रोग्रामिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने कहा, "मेरे ट्वीट पर प्रतिक्रिया पागल कर देने वाली थी. टिप्पणियों में कहीं न कहीं मैं टेस्ला के समर्थक और विरोधी बहुत गर्मजोशी से बहस करते नजर आए."
डेविड ने कहा कि उसने पूरे यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 13 देशों में 25 से अधिक टेस्ला कार पाईं जिन्हें आसानी से हैक किया जा सकता था, और हो सकता है ऐसी सैकड़ों और हों. खामियां टेस्ला के वाहनों या कंपनी के नेटवर्क में नहीं हैं, बल्कि ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के एक पीस में हैं जो उन्हें अपने वाहनों के बारे में डेटा एकत्र और विश्लेषण करने की अनुमति देता है.
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डेविड ने बताया कि वे 13 साल के थे जब उनकी मां को ब्रेस्ट कैंसर हुआ था. उन्होंने अपना ध्यान इस बात से भटकाने के लिए कोडिंग करना शुरू कर दिया. हालांकि उसी साल उनकी मां की मौत हो गई. इसके बाद उनका स्कूल में मन नहीं लगता था. जब वे 15 साल के हुए तो उनके पिता ने याचिका दायर की ताकि उन्हें हर सप्ताह सिर्फ दो दिन ही स्कूल जाने की अनुमति दी जाए. ऐसा इसलिए ताकि वे अपना शेष समय अपने साइबर सुरक्षा कौशल का विस्तार करने और एक परामर्श फर्म के निर्माण में खर्च कर सकें. अपनी इस फर्म का नाम उन्होंने कोलंबो टेक्नोलॉजी रखा.