पेरू में मिला 16 मिलियन साल पुराना रिवर डॉल्फिन का जीवाश्म

सालास ने कहा, ''यह डॉल्फ़िन भारत में गंगा नदी की डॉल्फ़िन से संबंध रखती है,'' उन्होंने कहा कि पेरू में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन एशिया में अपने जीवित रिश्तेदारों से बहुत बड़ी है. सालास ने कहा, दोनों डॉल्फ़िन के पूर्वज पहले समुद्र में रहते थे.

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इस डोल्फिन का संबंध भारत की गंगा नदी में रहने वाली डॉल्फिन से है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वैज्ञानिकों ने बुधवार को पेरू में रिवर डॉल्फिन का 16 मिलियन साल पुराना जीवाश्म खोपड़ी मिला है. यह डॉल्फिन कभी पानी में तैरा करती थी और इसका निकटतम रिश्तेदार भारत की गंगा नदी में दक्षिण एशियाई रिवर डॉल्फिन है. जीवाश्म विज्ञानी रोडोल्फो सालास ने कहा कि खोपड़ी दक्षिण अमेरिका के पानी में रहने वाली ज्ञात सबसे बड़ी डॉल्फिन की थी, जिसकी लंबाई 3 से 3.5 मीटर (9.8 से 11.4 फीट) थी. गहरे पानी में रहने वाले पेरू के पौराणिक प्राणी याकुरुना के नाम पर इसका नाम पेबनिस्टा याकुरुना रखा गया था.

सालास ने कहा, ''यह डॉल्फ़िन भारत में गंगा नदी की डॉल्फ़िन से संबंध रखती है,'' उन्होंने कहा कि पेरू में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन एशिया में अपने जीवित रिश्तेदारों से बहुत बड़ी है. सालास ने कहा, दोनों डॉल्फ़िन के पूर्वज पहले समुद्र में रहते थे.

सालास ने कहा, "इससे उन्हें भारत और दक्षिण अमेरिका के तटों के पास बड़े समुद्री स्थानों पर कब्जा करने की इजाजत मिली. ये जानवर अमेज़ॅन और भारत दोनों में मीठे पानी के वातावरण में रहते थे. दुख की बात है कि वे अमेज़ॅन में विलुप्त हो गए, लेकिन भारत में वो जीवित रहे हैं."

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इस स्टडी को जर्नल साइंस एडवांस में पब्लिश किया गया है. वैज्ञानिकों को नेपो नदी पर नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी द्वारा प्रायोजित 2018 अभियान के दौरान जीवाश्म मिला था. 

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अमेज़ॅन और ओरिनोको नदी घाटियां अभी भी अमेज़ॅन रिवर डॉल्फ़िन नामक प्रजाति का घर हैं, जिसे पिंक रिवर डॉल्फ़िन या बोटो भी कहा जाता है.

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