रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट पर आधारित है.रिपोर्ट के मुताबिक जहां 2014 में 12,360 किसानों और खेतिहर मज़दूरों ने ख़ुदकुशी की वहीं 2015 में ये आंकड़ा बढ़कर 12602 हो गया. 2016 में आए आंकड़ों के मुताबिक उस साल 11370 किसानों और खेतिहर मज़दूरों ने ख़ुदकुशी की.लेकिन इसके बाद के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.इसकी वजह सरकार बेहतर जानती है.वैसे खेती से जुड़े मामलों के जानकार इन आंकड़ों को काफ़ी कम बताते रहे हैं और आरोप लगाते हैं कि सरकार जान बूझकर इन आंकड़ों को कम करके बता रही है.