पीपलोदी गाँव के एक गरीब और निरक्षर व्यक्ति मोर सिंह ने शिक्षा के लिए निःस्वार्थ बलिदान की एक अनूठी मिसाल पेश की है। जब एक हादसे के बाद गाँव के सरकारी स्कूल का भवन जर्जर हो गया, तो बच्चों की पढ़ाई रुकने का खतरा पैदा हो गया। ऐसे में मोर सिंह ने अपना छोटा सा मकान स्कूल के लिए दान कर दिया और खुद अपने 10 सदस्यों वाले परिवार के साथ एक अस्थायी झोपड़ी में रहने चले गए। उनका कहना है कि वे खुद भले ही अनपढ़ रह गए, लेकिन वे गाँव के बच्चों का भविष्य अंधकार में नहीं देख सकते। मोर सिंह के इस महान त्याग की पूरे में प्रशंसा हो रही है और यह कहानी मानवता और शिक्षा के महत्व को दर्शाती है।