एक ऐतिहासिक फ़ैसला इस हफ़्ते लिया गया. अनुच्छेद 370 को सरकार ने इतिहास में भेज दिया. ये भारतीय जनता पार्टी का एक बहुत पुराना चुनावी वादा था. लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि मोदी के दूसरे कार्यकाल में ये भी हो जाएगा, वो भी इस तरह. विवाद छिड़ा हुआ है कि क्या ये सही तरीका था? लेकिन मुक़ाबला की इस कड़ी में हम चर्चा इसपर नहीं करेंगे कि ये होना चाहिए था या नहीं. क्योंकि जो होना था वो हो गया है. संसद में दो तिहाई बहुमत से ये प्रस्ताव पारित हो गया है. अब चर्चा ये है कि क्या जम्मू-कश्मीर के बंटने और अनुच्छेद 370 के जाने के बाद घाटी में शांति बहाल हो पाएगी? क्या समृद्धि और खुशहाली से आबाद होगा कश्मीर? 70 साल तक एक ढर्रे पर चली है कश्मीर नीति. क्या इस नीति को देना चाहिए पूरा मौका? क्या निवेश ही है खुशहाली की कुंजी? आज मुक़ाबला में हमारा सवाल... 370: बदलेगी कश्मीर की सूरत?