जब अर्थव्यवस्था के सवाल पर सरकार घेरे में आई तो कई कदम उठाए गए. उनमें से एक महत्वपूर्ण कदम था कारपोरेट टैक्स की दरों में कटौती. इसको बड़े निवेश के लिए बहुत ही सार्थक क़दम के रूप में देखा जाने लगा. सरकार को उम्मीद थी कि इस बचे हुए पैसे से नई कंपनियां लगेंगी और रोज़गार बढ़ेगा. यही नहीं, पुरानी कंपनियां बचे हुए पैसे का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगी और सामान की क़ीमत कम करेंगी. शेयर बाज़ार के सूचकांक भी इस ख़बर से ख़ूब उछले. माना जाने लगा कि जो बड़ा क़दम था, वो उठा लिया गया है. लेकिन कुछ ही हफ़्तों में सेंसेक्स का उछाल खत्म होता दिख रहा है. लगातार गिरावट आ रही है और सेंसेक्स फिर वहीं पहुंच गया था, जहां वो था. आरबीआई ने फिर रेट कट देकर राहत पहुंचाने की कोशिश की है. लेकिन एनडीटीवी से एक ख़ास बातचीत में उद्योगपतियों ने एक ऐसी बात कर दी जो सही मायनों में एक कारगर क़दम हो सकती है. आदि गोदरेज कहते हैं कि अगर पर्सनल टैक्स-यानी आपका-मेरा इनकम टैक्स कम होगा तो हम लोग ज़्यादा ख़र्च कर पाएंगे और ज़्यादा ख़र्च से मांग बढ़ेगी और उससे मैन्युफैक्चरिंग. यानी कि अर्थव्यवस्था को चालू करने का सबसे बढ़िया तरीक़ा आपका-मेरा टैक्स कम करना है. कितने सहमत हैं आप इससे?