संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि 'मौजूदा दौर में तलाक के मामलों में वृद्धी हुई है. तलाक के मामले शिक्षित और समपन्न परिवारों में ज्यादा हो रहे हैं क्योंकि शिक्षा और संपन्नता उनमें घमंड पैदा कर रही है. समाज में भी बिखराव हो रहा है क्योंकि वह भी एक परिवार है. भारत के पास हिंदू समाज के अलावा कोई विकल्प नहीं है.' उधर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन दिये जाने को मंजूरी दे दी है. हालांकि 2010 में हाई कोर्ट ने महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन देने की बात कही थी. केंद्र ने इसके खिलाफ याचिका में कहा कि भारतीय सेना में यूनिट पूरी तरह पुरुषों की है और पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं कर पाएंगे. तो सवाल यह है कि समाज में महिलाओं को समान दर्जा देने में अड़चनें क्यों हैं?