भारत के बेरोज़गारों के लिए एक अलग से न्यूज़ चैनल होना चाहिए. उनकी समस्याएं बहुत हैं और जटिल भी हैं. कोई ठोस संख्या तो नहीं है मगर कोई बहाली निकलती है तो दस से बीस लाख छात्र फार्म भरने लगते हैं. इस अंदाज़ से आप देखेंगे तो पाएंगे कि देश भर में करोड़ों की संख्या में छात्र भांति भांति की सरकारी नौकरियों की तैयारी में पसीना बहा रहे हैं. फिर भी इनकी सुनवाई क्यों नहीं है. बेरोज़गारी से किसी को डर क्यों नहीं लगता है. इसका एक छोटा सा जवाब है. जब किसान आंदोलन करते हैं तो बाकी समाज उन्हें छोड़ देता है. जब बेरोज़गार प्रदर्शन करते हैं तो बाकी समाज उन्हें भी छोड़ देता है. न किसान बेरोज़गारों का साथ देते हैं और न बेरोज़गार किसानों का.