जीएसटी पर सरलता और उदारता से बोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गौरक्षकों पर दिए बयान का विपक्ष ने उस तरह स्वागत नहीं किया जिस तरह पाकिस्तान में राजनाथ सिंह के भाषण का किया. पहली आलोचना यह हुई कि उन्होंने सिर्फ दलितों के बारे में कहा, मुसलमानों के बारे में नहीं जबकि इस हिंसा के शिकार वे भी हो रहे हैं। दूसरी आलोचना यह हो रही है कि उन्होंने बहुत देर से बोला.