इन दिनों प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. 1998 में एक बार प्याज के दाम को लेकर ही बीजेपी की सरकार गिर चुकी है. एक बार फिर प्याज के दाम जरूरत से ज्यादा बढ़ गए है, जिसने ग्राहकों, किसानों से लेकर सरकार तक की मुसीबत बढ़ा दी है. लेकिन सवाल यही है कि आखिर ऐसी स्थिति बनी क्यों? प्याज के दाम आखिर काबू से बाहर क्यों हुए? इन्हीं सवालों का जवाब जानने हमारी सहयोगी ऋचा जैन कालरा पहुंची हैं दिल्ली की आजादपुर मंडी.