बुनियादी मुद्दों पर चर्चा न हो इसके लिए सबसे अच्छा टॉपिक है हिन्दू मुस्लिम. कोई भी ऐसा विषय हो जिसकी बहस दो समुदायों के बीच दुराव पैदा करती है ऐसी बहसों से मीडिया का स्पेस भरा हुआ है. वर्ना आप इस बात से सिहर उठते कि आखिर क्या बात है कि शहर दर शहर, अस्पताल दर अस्पताल इतनी मौतें हो रही हैं. इन मौतों को आप सरकारों की पार्टी के हिसाब से मत देखिये. इस हिसाब से देखिये कि ज़माने से स्वास्थ्य व्यवस्था की जो उपेक्षा की गई है, वो अब खुद से सतह पर आने लगी है. गोरखपुर तो कब का पीछे छूट गया है. जमशेदपुर, रांची, फर्रूख़ाबाद, इटावा होते हुए नासिक पहुंच गया है. नेताओं के भाषणों को ग़ौर से सुनिये आपको किसी भी भाषण में बच्चों की हो रही मौत या जर्जर हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बेचैनी नज़र नहीं आएगी.