लोक सभा में एक बार फिर तीन तलाक के खिलाफ लाया हुआ कानून पास किया गया. याद करिए एक विधेयक पहले ही है जिससे तीन तलाक गैर कानूनी और आपराधिक है. अब प्रक्रिया है कि ये वापस संसद में बिल के रूप में प्रस्तुत हो. खैर लोकसभा में तो संख्या थी, तो यहां बिल फिर पास हो गया. 303 लोगों ने पक्ष में वोटर किया जबकि 82 लोग इसके खिलाफ थे. हालांकि बिल तो मोदी के पहले कार्यकाल में भी लोक सभा में पास हो गया था और राज्य सभा में आकर मामला अटक गया था. इस बार भी बहुत ऐसे सहयोगी दल और विपक्षी दल हैं जो इस कानून के खिलाफ हैं. लेकिन सवाल ये है कि सरकार इस कानून को लेकर इतनी इच्छुक क्यों है? इसके पीछे सिर्फ समाज सुधार मंशा है या इसके पीछे कोई और राजनीतिक कारण है?