बिहार में 4 महीने बाद भी कोरोना को लेकर तैयारियों की हालत यह है कि स्वास्थ्य सचिव को अस्पतालों को पत्र लिखना पड़ रहा है कि कोविड का मरीज आए तो कम से कम सीनियर डॉक्टर देख ले, जूनियर, इंटर्न या पढ़ने वाले छात्र न देखें. बिहार के लोग भी इस तरह के सवालों से अनजान थे. वो इस मुगालते में थे कि उन तक ये बीमारी नहीं आएगी और शायद सरकार भी यही मानकर चल रही थी. लेकिन अब जब महामारी चारों तरफ से बिहार को घेरती चली जा रही है तो इंतजामों की पोल खुल रही है.