कई गंभीर रोगी ऐसे होते हैं जिनके शरीर के कुछ अंग इतने ख़राब हो चुके होते हैं कि उनके प्रत्यारोपण के अलावा कोई चारा नहीं बचता. मेडिकल जगत इतनी तरक्की कर चुका है कि दिमाग़ को छोड़कर लगभग हर अंग के प्रत्यारोपण की तकनीक विकसित हो चुकी है लेकिन दिक्कत ये है कि प्रत्यारोपण तभी हो सकता है जब किसी ज़रूरतमंद मरीज़ को वो अंग क़ानूनी तौर पर मिल पाए जिसकी ज़रूरत है.