फरीदाबाद के प्रतापगढ़ इलाके में स्थित एक बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को इसलिए बनाया गया था ताकि यह गंदे नाली का पानी साफ कर दे और यमुना मैली होने से बच जाए. जनवरी 2015 में ही नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने आदेश दिया था कि 31 मार्च 2017 तक यमुना साफ हो जानी चाहिए. आज तक नहीं हुई. जुलाई 2018 में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने शैलजा चंदा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई. यह रिपोर्ट एनजीटी की साइट पर है. सुशील महापात्रा ने इसका अध्ययन किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार फरीदाबाद में चार एसटीपी प्लांट हैं. लेकिन चारों सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. 19 लाख आबादी है फरीदाबाद की. यहां के घरों और इंडस्ट्री से हर दिन 210 एमएलडी पानी निकलता है जबकि चारों एसटीपी प्लांट की साफ करने की क्षमता मात्र 160 एमएलडी है. मिलियन लिटर पर डे. सोचिए अगर यहां के एसटीपी प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं तो फिर यमुना का क्या हाल होगा. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रेटर फरीदाबाद में कोई भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है जबकि यहां 50 से अधिक हाउसिंग सोसायटी है.