समाजसेवी हर्ष मंदर का कहना है कि किसान की मुसीबत कभी ख़त्म नहीं होती। कभी फ़सल ख़राब होने से वह परेशान रहता है तो कभी फ़सल की सही कीमत नहीं मिलने से। उनका कहना है गांवों में निराशा की महामारी फैल रही है। सरकार को इस तरफ़ ध्यान देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अभी भी जीडीपी में कृषि का योगदान 15% है, जबकि कृषि क्षेत्र पर खर्च सिर्फ़ 5% है।