जब आप किसी नेता या पत्रकार के श्रीमुख से मुस्लिम वोट बैंक सुनते हैं तो आपके मन में कौन-कौन सी छवियां उभरती हैं। क्या आप यह समझते हैं कि मुस्लिम वोट बैंक के सदस्य किसी इस्लामिक धार्मिक चेतना से प्रेरित होकर वोट करते हैं, किसी मौलवी के कहने पर ही वोट करते हैं। अब ये छवियां अकेले प्राइम टाइम से तो नहीं टूटने वाली हैं। वैसे भी मैं योदगान विरोधी पत्रकार हूं। अच्छा हो या बुरा योगदान नहीं करना चाहता।