बाबरी विध्वंस के 20 साल पूरे हो गए हैं, और इन 20 सालों में राम मंदिर आंदोलन की दिशा और दशा बदल चुकी है। आज यह आंदोलन राजनीतिक तौर पर वोटों की बरसात नहीं करता। इस दौरान अयोध्या, और देशभर में एक नई पीढ़ी जवान हो चुकी है, जिसका इस मुद्दे से कोई खास भावनात्मक जुड़ाव नहीं है।