वसीम की दास्तां , उसी की जुबानी

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  • प्रकाशित: अगस्त 25, 2010
बनारस के लोहता की रहने वाली 14 वर्षीय वसीम आरा की गरीबी की वजह से पढ़ाई छूट गई और उसके पढ़ने के सारे सपने अधूरे ही रह गए। वह अपने परिवार को चलाने के लिए अब्बू का हाथ बंटाती है।

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