इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश में ग्रामीण और छोटे शहरों की स्वास्थ्य सेवाओं पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि यहां की स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं. आइए आपको बताते हैं उस केस के बारे में जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है. चार मई को 36 साल की श्वेता शिवांगी अपने पिता को बदहवास मेरठ मैडिकल कॉलेज में ढूंढती घूम रही थीं. श्वेता ने अपने पिता 67 साल के संतोष कुमार को यहां 21 अप्रैल को भर्ती कराया था. श्वेता को 2 मई तक बताया जाता रहा कि उनके पिता का इलाज चल रहा है. ये भी बताया गया कि उनका ऑक्सीजन लेवल 89% है. लेकिन असलियत भयावह है. संतोष कुमार की 22 अप्रैल को ही मौत हो गई थी. अस्पताल का रजिस्टर बताता है कि संतोष कुमार का शव बाथरूम में मिला. 23 अप्रैल को संतोष के शव का अज्ञात में अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. परिवार को अगले 10 दिन तक झूठ बताया जाता रहा.