15 अप्रैल को हमने दिखाया था कि सोलापुर की राजनीतिक लड़ाई का रंग क्या है. वहां कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे और बीजेपी के सिद्धेश्वर स्वामी को प्रकाश अंबेडकर एक नया मोर्चा बना कर चुनौती देने की कोशिश में हैं. लेकिन सोलापुर की असली चुनौती जितनी सामाजिक है, उतनी ही बुनियादी ज़रूरतों की भी है. ये इलाक़ा सूखे के संकट से जूझ रहा है. इस साल वहां बस 35 फीसदी बरसात हुई है. पानी की किल्लत है. 40 डिग्री तापमान वाली तपती धूप में महिलाएं अपने घड़े लिए सड़क किनारे बैठी मिलती हैं, ताकि टैंकर आए और उनकी प्यास बुझाने का इंतज़ाम हो पाए.