पहले और दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिकी सेना की सिग्नल कोर ने संदेश भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल किया, जिससे कई जानें भी बचीं और कई अहम रणनीतिक जानकारियां भी पहुंचाई गईं. अमेरिका की आर्मी सिग्नल कोर में शामिल ऐसा ही एक कबूतर Cher Ami आज भी याद किया जाता है... Cher Ami फ्रेंच शब्द है जिसका अर्थ है प्रिय मित्र... ऐसे समय जब पहले विश्व युद्ध में जर्मन फौज ने संदेश पहुंचाने वाले हर कबूतर को मार गिराया तो गरजती तोपों और बंदूकों के बीच कबूतर Cher Ami ने 12 मिशनों को कामयाबी से अंजाम दिया... उसके सबसे ख़तरनाक मिशन ने अमेरिकी सेना की 77वीं डिविज़न जिसे Lost Battalion कहा गया उसे बचा लिया... जंगल के बीच दुश्मन जर्मन फौज से घिरी ये बटैलियन अमेरिकी सेना को अपनी पोज़ीशन नहीं बता पा रही थी...यहां तक कि अपनी अमेरिकी सेना के बम भी उस पर गिरने लगे... ऐसे में इस बटैलियन के एक अफ़सर ने बचे हुए एकमात्र कबूतर Cher Ami के पैर में संदेश बांधकर भेजा और अपनी पोज़ीशन बताई... गोलियों और तोपों की गरज के बीच आधे घंटे में 25 मील की दूरी तय कर ये कबूतर अमेरिकी सेना के बेस तक पहुंच गया... तभी एक गोली लगने से वो भी नीचे गिर गया... नीचे गिरा तो उसके पैर में बंधे संदेश के कारण 194 अमेरिकी सैनिकों की जान बच गई... तब फ्रांस की सरकार ने युद्ध भूमि में इस कबूतर की बहादुरी के लिए उसे सम्मानित किया... घायल कबूतर को अमेरिका ले जाया गया जहां घाव के कारण उसकी मौत हो गई... उसके शरीर को संरक्षित किया गया और सम्मान के साथ Smithsonian Institution को सौंप दिया गया. Smithsonian’s National Museum of American History में आज भी उसे पूरे सम्मान के साथ रखा गया है.