साहसी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की कहानी, बेटे की जुबानी

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  • प्रकाशित: अगस्त 26, 2017
रामचंद्र छत्रपति वो पत्रकार जो डरा नहीं सच लिखता रहा. उन्होंने गुमनाम साध्वी की वो चिट्ठी छापी थी जिसमें राम रहीम द्वारा शोषण के ख़िलाफ एक गुहार थी. पर इस चिट्ठी के छपने के बाद रामचंद्र छत्रपति की हत्या हो गई, लेकिन उनका परिवार लड़ता रहा.सुरक्षा भी तब मिली जब कल कोर्ट का फैसला आया. रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल ने पूरी कहानी बयां की

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