भारतीय राजनीति जैसे साबित करती रहती है कि वह असंभव को साधने का खेल है. मैनपुरी में शुक्रवार को जिस तरह मुलायम सिंह यादव और मायावती एक मंच पर दिखे, एक-दूसरे का समर्थन करते दिखे, उससे वो लोग हैरान होंगे जिन्होंने 90 के दशक के वो खौलते हुए दिन देखे हैं जब मंडल और कमंडल के टकराव में कभी सपा-बसपा साथ आए थे और फिर एक गेस्ट हाउस कांड के बाद एक-दूसरे से इतनी दूर चले गए थे कि उनका साथ आना नामुमकिन था. दरअसल राजनीति की ये कहानी तीन दशक पहले से शुरू होती है.