सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) एक विवाहित महिला की 26 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अजन्मे बच्चे के अधिकार को तरजीह दी और कहा कि हम दिल की धड़कन रोक नहीं सकते. बच्चे के धरती पर जन्म लेने का रास्ता साफ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एम्स रिपोर्ट के मुताबिक- बच्चे में कोई असमान्यता नहीं है. तय समय पर एम्स डिलीवरी कराएगा. सीजेआई ने कहा कि गर्भावस्था 27 सप्ताह और 5 दिन की है. इस प्रकार गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देना MTP अधिनियम की धारा 3 और 5 का उल्लंघन होगा क्योंकि इस मामले में मां को तत्काल कोई खतरा नहीं है. यह भ्रूण की असामान्यता का मामला नहीं है.