पेगासस पर एक के बाद एक नई लिस्ट सामने आ रही है. दूसरे देशों में लिस्ट पर जांच को लेकर गंभीरता दिख रही है लेकिन देश में सरकार की तरफ से पेगासस मामले को ही खारिज किया जा रहा है. क्या इससे सचाई सामने आएगी? पेगासस जासूसी कांड की परतें लगातार बड़ी होती जा रही हैं. पहले लग रहा था कि चंद पत्रकारों के फोन रिकार्ड पर लिए जा रहे हैं या उनकी निगरानी की जा रही थी, अब यह मसला यहां तक सीमित नहीं है. इसके नए तार सैन्य अधिरकारियों तक पहुंचते हैं, रॉ के पूर्व अधिकारियों तक पहुंचते हैं. इसके तार पीएमओ के अंदर तक पहुंचते हैं. क्या ऐसी वजह थी जो ऐसे तमाम लोगों पर निगरानी रखी जा रही थी? क्या भारत एक निगरानी मुल्क में तब्दील हो रहा है? मौजूदा सरकार में जहां पर किसी को किसी पर भरोसा नहीं है, जिसके चलते सबके फोन पर पेगासस डाल दिया गया.इसी मुद्दे पर हमारे ख़ास कार्यक्रम सवाल इंडिया का में चर्चा हुई.