अब अगर नेशनल हाईवे की मरम्मत भी प्राइम टाइम देखने के बाद होने लगे तो आप सभी को अपने-अपने इलाके की सड़क की रिपोर्ट कहां भेजनी चाहिए, बताने की ज़रूरत नहीं है. हमें कई जगहों से सड़क निर्माण संघर्ष समिति के ईमेल मिले हैं. लोग अपने-अपने इलाके में नई सड़क और टूटी सड़क की मरम्मत के लिए समिति बनाकर संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें लगा कि अगर सहरसा-मधेपुरा नेशनल हाईवे 107 की तरह उनके इलाके की सड़क का हाल दिखाया जाए तो सरकार और अधिकारी टीवी का डिबेट छोड़कर कुछ काम भी करने लग जाएंगे. 11 जुलाई की रात को ही एक सज्जन बताने लगे कि छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से जशपुर के बीच एनएच-43 की हालत भी बहुत खराब है. यहां भी 3 साल से कंपनी काम नहीं कर रही है. अभी हम इस हाईवे के बारे में सारे तथ्य और तस्वीरें जुटाने की सोच ही रहे थे कि शाम को खबर आई कि सहरसा पूर्णिया नेशनल हाईवे 107 के गड्ढों को भरा जाने लगा है.