बीटिंग रिट्रीट के साथ गणतंत्र दिवस का समारोह का औपचारिक समापन हो गया. हरियाली और रास्ता का गाना भी बजा. बोल मेरी तकदीर में क्या है? अबाइड विद मी लार्ड की धुन भी बजाई गई. मैं अपनी पसंद की धुन आपको सुनाना चाहता हूं. काबुलीवाला फिल्म का गाना है. ऐ मेरे प्यारे वतन. इस गाने में जो किरदार है रहमत का वो कलकत्ते में काबुली बेचता है, उस शहर की एक बच्ची मिन्नी में अपनी बच्ची को देखने लगता है. उसे तरह-तरह के काजू बदाम लाकर देता रहता है. एक प्रसंग में वह गाने लगता है ऐ मेरे प्यारे वतन. इस गाने में रहमत काबुल को याद करता है. गाने का असर ऐसा होता है कि काबुल की याद में लिखे गए गाने में आप भारत को याद करने लगते हैं. इस गाने को लिखा था प्रेम धवन ने. मन्ना डे ने गाया था. संगीत दिया था महान संगीतकार सलील चौधरी ने. काबुलीवाला रबीन्द्र नाथ टगोर की लिखी कहानी है. इस गाने को यू ट्यूब में देखिएगा. बलराज साहनी की क्या अदाकारी है. तेरे दामन से जो आए, उन हवाओं को सलाम. सलाम आप सभी को...