राकेश टिकैत ने कहा कि पहले के किसान आंदोलन में एकता के लिए अल्लाहू अकबर और हर-हर महादेव का नारा लगता था. इस दौर में इसे दोहराना साहसिक है. धार्मिक नारों को राजनीतिक मुद्दों की लड़ाई से जितनी जल्दी विदा कर दिया जाए उतना ही अच्छा. हर दूसरा किसान नेता दंगों के खिलाफ भाषण दे रहा था.