फरवरी महीने में केंद्रीय बजट में मोदी सरकार कहती है कि टीके की खरीद के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. 10 मई को वित्त मंत्रालय की तरफ से एक प्रेस रिलीज़ जारी होती है. उसमें कहा जाता है कि बजट में 35000 करोड़ का प्रावधान राज्यों को देने के लिए किया गया था. राज्यों को हस्तांतरण शीर्षक के नीचे 35000 करोड़ की राशि दिखाई गई है. इसी से केंद्र टीका खरीद रहा है और राज्यों को दे रहा है. टीकाकरण के लिए राज्यों को दी गई राशि वास्तव में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती है. इस प्रेस रिलीज़ की आखिरी पंक्ति यह है कि ‘राज्यों को हस्तातंरण' शीर्षक वाली मांग के उपयोग का अर्थ यह नहीं है कि केंद्र द्वारा व्यय नहीं किया जा सकता है. जब स्टेट को ही खरीदना था तो उनके लिए 35000 करोड़ से केंद्र क्यों खरीद रहा है. केंद्र 150 रुपये में टीका खरीद कर राज्यों को दे. क्यों राज्यों को अधिक कीमत पर उसी कंपनी से टीका लेना पड़ रहा है. क्या केंद्र अपने टीके खरीदने के लिए अलग से फंड नहीं रख सकता था, राज्यों को दिए जाने वाले फंड से राज्य टीका खरीदते. अब जब यह पैसा राज्यों को नहीं मिलेगा तो उनके पास टीका खरीदने का पैसा कहां से आएगा.