प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मामला इतना भी मामूली नहीं है कि ज़्यादातर बातें कानाफूसी और व्हाट्एसएप के ज़रिए पत्रकारों के बीच ठेली जाएं और लोग मीम बनाकर हंसी हंसी का खेल खेलें. तरह-तरह की बातें बनाने की जगह जनता के बीच सीधे सीधे और साफ-साफ तथ्य रखे जाने चाहिए.