रवीश कुमार का प्राइम टाइम: राम मंदिर के भूमिपूजन का सार समग्र

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  • प्रकाशित: अगस्त 05, 2020
वर्तमान समय में जब सत्य असत्य से ऊपर उठकर मिथकीय और पौराणिकता का स्वरूप धारण करने लग जाए तो उसे प्रसारणबद्ध करने की योग्यता का किंचित अभाव महसूस करता हूं. ये बस एक लेखकीय और पत्रकारीय सकुचाहट से ज्यादा कुछ नहीं है. जिसका होना जरूरी भी है. दिवस के इस विराट प्रदर्शन में मामूली होती पुरानी मर्यादाओं के प्राणहीन होते जाना और नई मर्यादाओं के अदम्य साहस और उड़ान को देखना एक विकट चुनौती प्रस्तुत करता है.

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