शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना गैर-कानूनी नहीं है, और ना ही आतंकी कार्रवाई है. भड़काऊ भाषण और चक्का जाम करना वैसे अपराध नहीं है, कि यूएपीए एक्ट की संगीन धाराएं लगा दी जाए. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का यह सार दिल्ली पुलिस के अलावा उन लोगों के सामने आईने की तरह खड़ा है, जो सिर्फ इसी बात के लिए अभियान चला रहे थे कि नागरिकता कानून के विरोधी आतंकी साजिश कर रहे थे. दिल्ली दंगों के साजिशकर्ता हैं. गोदी मीडिया चैनलों के स्क्रीन के सामने बैठकर आपने जिन छात्र-छात्राओं के बारे में यह सब कहा या सोचा, आज उन्ही के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी है.