मीडिया के इस सिलेबस से बाहर जाकर यूनिवर्सिटी सीरीज़ वाकई आउट ऑफ सिलेबस लग रहा है. भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां के छात्रों को, प्रोफेसरों को, माता पिता को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि यूनिवर्सिटी, कॉलेज में पढ़ाई हो रही है या नहीं. उन्हें आप बस किसी कॉलेज का पता बता दीजिए वो तीन से पांच साल के लिए फीस देने चले जाते हैं. हमने दुनिया को बताया ही नहीं कि भारत में ऑटोमेटिक कॉलेज हैं. जहां आप ऑटोमेटिक मशीन की तरह पैसे डालते हैं और टिकट की तरह ग्रेजुएट होकर बाहर आ जाते हैं.