डॉ पंकज नारंग की पत्नी को देखकर लोगों को याद नहीं आएगा. शायद उन्हें भी याद नहीं आएगा, जो 23 मार्च 2016 की शाम से इसे हिन्दू-मुस्लिम मैच का मुद्दा बनाकर भूल चुके हैं. छह साल बाद भी उस डॉक्टर का परिवार हत्या की यादों से हर दिन गुज़र रहा है. इंसाफ़ की लड़ाई के नाम पर सिस्टम की नाइंसाफी झेल रहा है.