भारत सरकार ने 3 जुलाई को जब सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना रिपोर्ट 2011 जारी की तब ग्रामीण भारत का ऐसा चेहरा दिखा था, जिससे विकास के तमाम दावे अपने आप ध्वस्त हो रहे थे। लेकिन जब इस सर्वे में अनुसूचित जाति जनजाति की संख्या बता दी तो बाकियों की क्यों नहीं बताई गई? जब बीजेपी प्रधानमंत्री की जाति बता सकती है, तो जाति की गिनती क्यों नहीं? प्राइम टाइम में देखें खास चर्चा..