सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा की हालत ऐसी है कि ज़रा सा सुधार होने पर भी हम उसे बदलाव के रूप में देखने लगते हैं. सरकारी स्कूलों में लाखों की संख्या में शिक्षक नहीं हैं. जो हैं उनमें से भी बहुत पढ़ाने के योग्य नहीं हैं या प्रशिक्षित नहीं हैं. दिसंबर 2016 में लोक सभा में एक सवाल का जवाब देते हुए मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया था कि प्राथमिक स्कूलों में 907585 शिक्षक नहीं हैं और सेकेंडरी स्कूलों में एक लाख से अधिक शिक्षक नहीं हैं. इस वक्त तक इनमें से कितने पद भरे गए हैं इसकी जानकारी नहीं हैं लेकिन इंडियन एक्सप्रेस में 25 दिसंबर 2018 को एक रिपोर्ट छपी थी. Centre for Budget and Governance Accountability (CBGA) और Child Rights and You (CRY) ने एक सर्वे कराया था जिसमें यह बात सामने आई थी कि छह राज्यों में प्राथमिक स्कूलों में 5 लाख से अधिक शिक्षक नहीं हैं. इनमें से 4 लाख से अधिक तो सिर्फ बिहार और यूपी में नहीं हैं.