सरकारों को जनता का दुख बहुत दिनों तक दिखाई नहीं देता है. लेकिन जब कोई घटना हो जाती है तो सरकार में बैठे लोग बिजली की गति से आगे नजर निकल जाते हैं. जैसे ही खबर आयी कि महाराष्ट्र में 16 मजदूरों की मौत रेल से कटने से हो गयी ट्विटर पर संवेदना की बाढ़ आ गयी. कई गुणा संवेदनाए हो गयी और चारो तरफ संवेदनाओं का प्रसार हो गया मजदूरों की मौत छोटी घटना हो गयी. जिन लोगों को समय रहते देखना चाहिए था कि मजदूर पैदल चलने के लिए क्यों मजबूर हैं वो चुप रह गए. जो लोग सिस्टम से बाहर थे उन्हें बोलना चाहिए था वो भी चुप रह गए. 40-45 दिन कम नहीं होते हैं सरकार के पास फीडबैक पहुंचने के लिए.