प्राइम टाइम: बुनियादी सुविधाओं को तरसते कॉलेज

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  • प्रकाशित: अक्टूबर 17, 2017
यूनिवर्सिटी पर हमारी सीरीज़ जारी है. ये दसवां अंक है. इस सीरीज़ के बहाने आपने हिन्दुस्तान के कई छोर देखें. समझ रहे होंगे कि कैसे कॉलेजों को बर्बाद कर एक सामाजिक अंतर पैदा किया गया है. जिनके पास पैसे हैं वो अब 10-10 लाख रुपये देकर बीए, एमए की पढ़ाई प्राइवेट यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं. जिनके पास पैसे नहीं हैं उनके लिए बहुत कम कॉलेज बचे हैं जहां पढ़ाई होती है. राज्यों में तो हालत और भी ख़राब हैं.

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