हमारी संस्थाएं किस कदर लचर हो गई हैं और उनमें एक घटना को संभालने और उसके सारे तथ्यों को सार्वजनिक करने की साहस की इतनी कमी है कि मामले का राजनीतिक होना उनके लिए भी ढाल का काम कर जाती है। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी चार दिन से अगर सारे तथ्यों को एक साथ सार्वजनिक रूप से रख देती तो क्या हो जाता। बजाए इसके कि एक पक्ष इस कागज़ को लीक करे और एक पक्ष उस कागज़ के सहारे दावा करे।