जामा मस्जिद के इमाम 70 के दशक से राजनीतिक हस्ती भी होते चले गए। इस गफलत में मत रहियेगा कि मौजूदा बुख़ारी साहब किसी एक दल से जुड़े रहे हैं। तमाम दलों और नेताओं की सोहबत इन्हें हासिल है।
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